Sat. Apr 26th, 2025

खरगोन के यातायात का भगवान मालिक!

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खरगोन। शहर में आज दो दुर्घटनाएं हुई वो भी सबसे व्यस्ततम मार्ग पर। पहली डीआईजी बंगले के पास और दूसरी भी डीआईजी बंगले से कुछ दूर। दुर्घटनाओं को रोकना संभव भी नहीं, क्योंकि ना सुनता है ना ही कोई रोकता है। ये कहें कि खरगोन की यातायात व्यवस्था रामभरोसे है, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। बेलगाम रफ्तार से दौड़ती ओवरलोड बसें, डंपर और ट्रेक्टर बेकसूर लोगों की जान ले रहे हैं। 

बेकाबू बस ने ली जान-

गायत्री मंदिर की ओर से बस स्टैण्ड की ओर जा रही निजी बस मां उमिया बस ने डीआईजी बंगले के पास सुंदरम होटल की ओर जा रहे स्कूटी सवार को जोरदार टक्कर मार दी। स्कूटी सवार केशव मांगीलाल यादव फारेस्ट बंगले के पास से नूतन नगर की ओर मुड़े थे। तब बस ने भीषण टक्कर मारी। टक्कर इतनी तेज थी कि स्कूटी सवार केशव की दुर्घटना के बाद मौत हो गईं। 

बस ने कार को मारी टक्कर-

बस स्टैंड के बाहर तांगा स्टैंड के पास एक निजी बस ने दोपहर में एक कार को टक्कर मार दी। इस बात को लेकर कुछ देर विवाद हुआ। ये दूसरी दुर्घटना स्कूटी सवार की मौत के ठीक आधे घंटे बाद ही हो गई। उक्त स्थान पर अक्सर जाम की स्थिति निर्मित होती है क्योंकि यहां पर कोई जवान तैनात नहीं होता और आए दिन निजी बस चालक, परिचालक और एजेंट सवारी बैठाने को लेकर विवाद करते नजर आते हैं। 

कहीं भी रोक दो बस, सवारी चाहिए-

शहर में बस स्टॉप चिन्हित है लेकिन बस चालकों ने जगह-जगह अघोषित बस स्टॉप बना लिए हैं। बस स्टैंड से निकलते ही बस डीआईजी कार्यालय बंगले के ठीक सामने, कुछ आगे जाने पर फारेस्ट के क्वार्टर्स के सामने और फिर इसके बाद गायत्री मंदिर तिराहे पर रूकती है। यहां से निकलने के बाद गायत्री मंदिर के पीछे, फिर अवनी ग्राम के सामने, फिर आरती टॉकीज के सामने, बावड़ी बस स्टैंड तक रुकते हुए जाती हैं। 

अब क्यों नहीं रोकते ओव्हर लोड वाहन-

शहर में बढ़ रही दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण चारपहिया वाहनों की बेकाबू रफ्तार तो है ही साथ ही ओवरलोड वाहन भी जिम्मेदार हैं। एक साल पहले पुलिस, यातायात विभाग के अफसर और जवान ओवरलोड बस ही नहीं डंपर और ट्रैक्टर भी रोकते थे लेकिन अब उन्हें कोई चेक भी नहीं करता। अवैध रूप से बगैर नंबर के दौड़ रहे रेत डंपर और ट्रेक्टर भी दुर्घटना के सबब बन रहे हैं। लोगों का कहना है यातायात पुलिस को केवल गरीब दोपहिया वाहन चालकों के चालान बनाती है, उन्हें ओवरलोड बस, रेत से भरे डंपर और ट्रैक्टर नहीं दिखते। 

एकमात्र बत्ती, पर रुकने का टाइम नहीं? 

शहर में यातायात के नाम पर एक ट्रैफिक सिग्नल बत्ती गायत्री मंदिर चौराहे पर लगी है। यहां यातायात जवान भी तैनात रहते हैं लेकिन यातायात नियम तोड़ने वाले वाहन चालक को ना तो कोई रोकता है और ना ही कोई देखता है। बत्ती रेड हो या येलो जिसे जब निकलना होता है पुलिस के सामने निकलकर चला जाता है। भले ही नियम का पालन करने वाला खड़ा हो। उल्लेखनीय कुछ मा पहले गायत्री मंदिर तिराहे पर ट्रक के कुचलना से एक बुजुर्ग की मौत हो चुकी है। 

श्रीकृष्ण टॉकीज तिराहे पर जवान की जरूरत नहीं!

यातायात की सबसे बदतर हालत शहर के श्रीकृष्ण टॉकीज तिराहे पर है। तिराहे पर थाने की ओर से सब्जी मंडी की ओर जाने के लिए घूमकर जाना होता है लेकिन 100 में से 80 प्रतिशत लोग थाने की ओर से सीधे रांग साइड में घुस जाते हैं, नतीजा जोखिम और यातायात बाधित और जाम। बेकार हो चली यातायात व्यवस्था से परेशान समीर का कहना है श्री कृष्णा टॉकीज तिराहे पर तो जवान की जरूरत ही नहीं है क्योंकि यहां तैनात जवान रांग साइड जाने वाली किसी की गाड़ी रोकते या टोकते हुए नहीं दिखा। इससे तो पुलिस को जवान को कहीं और ड्यूटी पर लगाना चाहिए ताकि वहां काम हो सके। 

कुम्भकर्णीय नींद और जनप्रतिनिधि- 

शहर की तमाम यातायात अव्यवस्थाओं के लिए सड़क सुरक्षा समिति की बैठक तो होती है लेकिन ये बंद कमरे तक ही सीमित रहती है। धरातल पर कोई मुहिम नजर नहीं आती इसके चलते शहर में यातायात नियम का कोई पालन होते नहीं दिखता। लोगों का कहना है हमारे माननीयों को तो जगाना मुश्किल है, वे तो चुनाव जीतकर कुंभकर्णी नींद में सोए हैं। विपक्ष में लगभग शून्य की स्थिति में है। 

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