खरगोन में सैंकडों किसान सोयाबीन भाव को लेकर उतरे सड़क पर। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ राष्ट्रीय अध्यक्ष कक्काजी के नेतृत्व में किसानों ने निकाली ट्रैक्टर रैली। कक्काजी ने किसान रैली के बहाने भाजपा पर बोला हमला। कहा ऐसे मंदिरों में जहां चर्बी का प्रसाद चढ़ाया जाता हों, ये किस मुंह से कहते हैं सनातनी। ये दोहरा चरित्र लंबे समय तक नहीं चलने वाला।
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने कपास के भाव 15 हजार रुपए प्रति क्विंटल, सोयाबीन 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल, मिर्च 25 हजार रुपए प्रति क्विंटल सहित अन्य फसलों के दाम बढ़ाने और विभिन्न मांगो को लेकर अनाज मंडी में परिसर में राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार कक्काजी की मौजूदगी में विशाल आम सभा आयोजित की गई। जहां किसानों की मांगो को लेकर कक्काजी सरकार पर जमकर बरसे। आम सभा के बाद खुली जीप में सवार होकर शिवकुमार कक्काजी हजारों किसानों के साथ नारेबाजी करते हुए रैली के रूप में खरगोन की सड़कों पर निकले। अनाज मंडी परिसर से शहर के प्रमुख मार्गो से कलेक्टर कार्यालय तक निकली रैली में जिलेभर के हजारों किसान ट्रैक्टर और वाहन लेकर रैली में शामिल हुए। किसानों की ट्रेक्टर रैली को देखते हुए पुलिस द्वारा वाहनों के लिए रूट भी डायवर्ट किया गया। कलेक्टर कार्यालय पहुंची रैली के बाद फसलों के दाम बढ़ाने सहित किसानों की ज्वलंत समस्याओं को लेकर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्काजी ने कलेक्टर कर्मवीर शर्मा को एक लिखित ज्ञापन सौंपकर मांगो का तत्काल निराकरण करने की मांग की। महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्काजी ने प्रसिद्ध बालाजी मंदिर के लड्डू में चर्बी के मामले में कहा ये सवाल सनातनी सरकार से पूछना चाहिए, सनातन का गाना गाती है, सनातन का भजन करती है। ये बताए ऐसे मंदिरों में जहां चर्बी का प्रसाद चढ़ाया जाता हो ये किस मुंह से कहते हैं सनातनी। इसमें पूरे देश में रोज व्याप्त है। साधु संतों में भी रोज है। जब यह हरिद्वार में जो मंदिर है, केदारनाथ के मंदिर का सोना चोरी हो जाता है वहां भी आपकी सरकार है। यहां भी आपकी सरकार है तो ये दोहरा चरित्र लंबे समय तक नहीं चलने वाला। निमाड़ अंचल में कपास और मिर्च की अधिक पैदावार होती है लेकिन फसलों के दाम कम दिए जा रहे हैं। हमारी सरकार से मांग है कि फसलों के सी टू प्लस फिफ्टी के हिसाब से दाम दिए जाने की मांग कर रहे है। हमारी मांगों का जब तक निराकरण नहीं होता तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगी। किसान अपनी मेहनत और पसीने का केवल मूल्य मांग रहा है। अब किसानों की लड़ाई निर्णायक होगी।