खरगोन जिले के कसरावद में 50 वर्षीय महिला की नर्मदा किनारे अनोखी साधना। 33 दिन से केवल 5 बेलपत्र के सहारे शिवलिंग पर लगातार नर्मदा जल अर्पित कर रही नर्मदा भक्त रामकन्या। 72 वर्षीय किसान पिता कर रहे बेटी की साधना में मदद। रामकन्या दो बार पैदल कर चुकी हैं 3500 किमी लंबी नर्मदा परिक्रमा। बाकावां से सिर शिवलिंग धारण कर लाई थी शालिवाहन मंदिर। रामकन्या सूर्योदय से सूर्यास्त तक पूरे समय शिवलिंग पर नर्मदा से जलाभिषेक करती हैं और मंत्रों का जाप करती है।
खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर कसरावद तहसील के नावड़ातोड़ी घाट पर 50 वर्षीय रामकन्या यादव अनोखी साधना कर रही हैं। मां नर्मदा नदी के पावन तट पर देवी-देवताओं से लेकर ऋषि मुनियों और अनेकों संतों ने भगवान शिव की कृपा पाने के लिए कठोर साधनाएं की है। एक महिला साधक इन दिनों खरगोन में 41 दिन की अनोखी कठोर साधना में रही हैं। हम बात कर रहे हैं, 50 वर्षीय रामकन्या यादव की, जो पिछले 18-19 दिनों से नावड़ातोड़ी गांव में भूखे रहकर तेज धूप में नर्मदा नदी के तट स्थित शालीवाहन घाट पर शिव की आराधना कर रही हैं। रामकन्या यादव मां नर्मदा की परम भक्त हैं और दो बार पैदल नर्मदा परिक्रमा कर चुकी हैं। पिछले महीने गुरु आदेश के बाद बकावां से शिवलिंग सिर पर रखकर पैदल शालीवाहन मंदिर पहुंची थी। यहां नर्मदा तट पर शिवलिंग की स्थापना की और तभी से मौन धारण करके साधना में लीन हो गई। रामकन्या सूर्योदय से सूर्यास्त तक पूरे समय शिवलिंग पर नर्मदा से जलाभिषेक करती हैं और मंत्रों का जाप करती है। रामकन्या देवास जिले के चापड़ा गांव की रहने वाली हैं। परिक्रमा के बाद नर्मदा के प्रति उनकी आस्था बढ़ी तो 40 किमी दूर बाकावां से सिर पर शिवलिंग लेकर पैदल शालीवाहन पहुंची और अनुष्ठान करने की इच्छा व्यक्त की। तब यहां शिवलिंग की स्थापना की और 27 अक्टूबर से उनकी साधना अब तक जारी है। 41 दिन तक इसी प्रकार कठोर साधना करेंगी। तपस्या पूरी होने तक महिला तपस्वी ने मौन धारण किया है। दिन में दो बार थोड़ा पानी पीती है। अन्न का त्याग किया है। भोजन में सिर्फ बिलपत्र के 5 पत्ते खाती है। वो भी एक टाइम। किसी से बात नहीं करती कुछ कहना होता है तो इशारों में या कागज पर लिखकर बताती है। पूरे टाइम शिवलिंग पर नर्मदा का जल अर्पण करती है और मन में ओम नमः शिवाय तथा नर्मदे हर का जाप करती है। श्रद्धालुओं ने तेज धूप से बचाव के लिए छांव की व्यवस्था करने की बात कहीं थी पर उन्होंने मना कर दिया। सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक 12 घण्टे निरंतर तप के बाद रात्रि विश्राम शालीवाहन मंदिर परिसर स्थित धर्मशाला में करती हैं। लोगों के मुताबिक क्षेत्र में किसी महिला द्वारा इस तरह की कठोर साधना पहली बार देखी है।
अमरकंटक से मंडलेश्वर तक चातुर्मास-
महिला के बुजुर्ग पिता दयाराम यादव का कहना है हम खलघाट से निकले थे एक चातुर्मास नेमावर में किया, दूसरा अमरकंटक किया तीसरा गुजरात में किया। फिर मंडलेश्वर में किया और इसके बाद बड़वाह नावघाटखेड़ी में। 27 अक्टूबर से यहां पर अनुष्ठान शुरू किया है। अनुष्ठान इस तरह का है कि कुछ नहीं लेना केवल जल और पांच बेलपत्र के सहारे साधना कर रही है। सुबह 6 से शाम के 6 तक शिवलिंग पर नर्मदा जल अर्पित कर रही है। मेरी बेटी है और मैं किस हूं। मां नर्मदा शक्ति दे रही है हम तो एक दिन भी अन्न त्यागते हैं तो हालत खराब हो जाती है। शालीवाहन मंदिर के आश्रम में रात गुजारते हैं और दिन में साधना करती है।