खरगोन। जहां एक और देश के कई शहर बेहतर सड़क और सुविधाओं के लिए दमक रहे हैं वहीं दूसरी ओर खरगोन शहर में हिंदुओं के सबसे बड़े त्यौहार दीपावली पर निष्क्रियता की धूल चढ़ी है। एक नहीं अनेक गड्ढे और गड्ढों को छिपाने के लिए भरी गई धूल भरी गिट्टी जो एक वाहन निकालने पर ही धूल का गुबार बना रही। वर्तमान शहर को देखकर लग रह फिर से खरगोन शहर 90 के दशक में पहुंच गया।
खरगोन शहर में जमीनों के दाम तो मिनी बॉम्बे इंदौर से अधिक है लेकिन सुविधा के नाम पर खरगोन की सड़क गांव से भी बदतर। नगरपालिका के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता के कारण सुंदर शहर पर गड्ढों और धूल का ग्रहण लग गया। लगे भी क्या ना, हमारे माननीयों को इतनी फुर्सत ही नहीं मुख्य मार्गों के गड्ढों की सुध ले लें। शहर के लोगों को खूबसूरत शहर देना तो दूर एक अच्छी सड़क तक नसीब नहीं हो रही। शहर के सबसे व्यस्ततम मार्ग में शुमार सनावद रोड अनगिनत बड़े-बड़े गड्ढों और उन पर पड़ी मिट्टी भरी गिट्टी पहचान बन गई। ना तो नगरपालिका पार्षदों को बदसूरत शहर दिखाई दे रहा है और ना ही नगरपालिका अध्यक्ष छाया जोशी को इन बदहाल सड़कों से कोई लेना देना है।
दीपावली पर धूल की चादर-
दीपावली पर्व बहुसंख्यक समाज का सबसे प्रमुख और सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। इसके लिए पूरा बाजार सज गया है। घर रोशन हो गए हैं और सभी लोग लक्ष्मी पूजन में व्यस्त भी हो गए हैं। सबसे बड़े त्यौहार में खरीदी के लिए बाजार में सुबह से लेकर रात के 11 बजे तक आने-जाने वालों की भारी भीड़ लगी है लेकिन वाहनों के टायर से उड़ती धूल लोगों के लिए भीषण समस्या बन गई है। क्या लोग सुकून से दीपावली मना पाएंगे यह यक्ष प्रश्न है?
शहर पर धूल का गुबार और बीमारी की छाया-
1990 के दौर में बिस्टान रोड केवल धूल का गुबार और बदहाल सड़कों के कारण जाना जाता था। धीरे-धीरे सुधार हुआ सीसी रोड बना लेकिन पिछले 2 साल में शहर की एक नहीं अनेक सड़कों पर 90 के दौर की बीमारियों की छाया पड़ गई। फोन के डिब्बे से निकालकर हम हर हाथ में मोबाइल तो ले आए लेकिन बरसों बाद भी सड़कों को बदहाली से उभार नहीं पाए।
शहर में तेजी से बढ़ रहे अस्थमा के रोगी-
वैसे तो शहर में कई तरह की बीमारियां अपने पैर पसार लिया है लेकिन सनावद रोड, खंडवा रोड, मांगरूल रोड़, जुलवानिया रोड़, डायवर्जन रोड़ सहित कई कॉलोनियां और मोहल्ले से उठती धूल लोगों को अस्थमा की ओर ले जा रही है। ठंड के मौसम में अस्थमा के मरीजों का बढ़ना चिंता का विषय है। सनावद रोड निवासी रोहित का कहना है धूल शहर की सबसे बड़ी समस्या है और यहां के जनप्रतिनिधि बिल्कुल निष्क्रिय है। दिन में ना तो खंडवा रोड से गुजर सकते हैं ना ही सनावद रोड़ से। नगरपालिका इतनी भी सक्षम नहीं की त्योहार के समय शहर वासियों को धूल की समस्या से मुक्त करा सके।
क्या शहरवासी धूल की समस्या को लेकर फिर उतरेंगे सड़क पर-
खरगोन शहरवासियों की शालीनता ही सबसे बड़ी कमजोरी बन रही है। जब सिर से ऊपर पानी निकलता है, तब शहर के लोग कुछ लोग मुश्किल से सड़क पर आते हैं। चाहे मेडिकल कॉलेज की लड़ाई हो या धूल की समस्या। चुनाव के दौरान बेशक विकास के बड़े-बड़े दावे किए गए लेकिन शहर की सबसे बड़ी समस्या बदहाल सड़क, धूल भरे गड्ढे और धूल फांकते लोग शहर की पहचान बन गए हैं।