इंदौर। पांच वर्ष पुराने बल्लाकांड में सोमवार कोे फैसला आ गया। विशेष न्यायालय ने पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय सहित प्रकरण के सभी 10 आरोपितों को बरी कर दिया। एक आरोपित की विचारण के दौरान मौत हो चुकी है।
प्रकरण में अभियोजन ने उस वीडियो को महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया था जिसमें विजयवर्गीय नगर निगम अधिकारी पर बल्ला चलाते हुए नजर आ रहे हैं, लेकिन इस वीडियो की प्रमाणिकता के संबंध में कोई प्रमाण पत्र ही अभियोजन प्रस्तुत नहीं कर सका।
जिस अधिकारी ने विजयवर्गीय के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी उन्होंने खुद कोर्ट में बयान दिया कि उन्होंने विजयवर्गीय को बल्ला चलाते हुए नहीं देखा था बल्कि उनके हाथ में बल्ला देखकर उन्होंने रिपोर्ट में उनका नाम लिखवा दिया था।
यह था पूरा मामला
- मामला 26 जून 2019 का है। इंदौर के गंजी कंपाउंड क्षेत्र में एक जर्जर मकान तोड़ने पहुंची नगर निगम की टीम का तत्कालीन विधायक आकाश विजयवर्गीय से विवाद हो गया था।
- आरोप था कि स्थानीय लोगों के बुलाने पर पहुंचे आकाश विजयवर्गीय ने निगम के अधिकारियों से कहा कि 10 मिनट में यहां से निकल जाना, वरना जो भी होगा उसके जिम्मेदार आप लोग होंगे।
- कहासुनी के दौरान ही आकाश ने निगम के एक अधिकारी को बल्ले से पीट दिया।
- एमजी रोड पुलिस ने मामले में तत्कालीन विधायक आकाश विजयवर्गीय सहित 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
- इस मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश देव कुमार के समक्ष चल रही थी।
21 गवाहों के बयान करवाए थे
- अभियोजन ने प्रकरण में तत्कालीन भवन निरीक्षक धीरेंद्र बायस सहित 21 गवाहों के बयान करवाए थे।
- फरियादी बायस जिन्होंने खुद रिपोर्ट दर्ज करवाई थी उन्होंने कोर्ट में दिए बयान में कहा था कि उन्होंने आकाश विजयवर्गीय को बल्ला चलाते हुए नहीं देखा था।
- अभियोजन ने प्रकरण में घटना का वीडियो भी प्रस्तुत किया था लेकिन इसे किसने और कब बनाया इस संबंध में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए।
- इतना ही नहीं वीडियो बनाने वाले के बयान भी नहीं करवाए गए।
- पुलिस ने प्रकरण में घटना के कुछ दिन बाद बल्ला जब्त किया था जो उसे बाथरूम के पास पड़ा मिला था।
- लेकिन यह सामान्य बल्ला था और इस बात के कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किए कि यह वहीं बल्ला है जिससे अधिकारी को पीटा गया था।
- प्रकरण में मोनू कल्याण भी एक आरोपित था, लेकिन उसकी पिछले दिनों हत्या हो चुकी है।